Chandryaan 3 Launch Update : कहां गायब हुआ चंद्रयान 3 को ले जाने वाला रॉकेट LVM-3 ? | ISRO | Moon

 


चन्द्रयान तीन अपने मिशन पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और 23 अगस्त को शाम के 5:47 पर चंद्रयान के चंद्रमा की सतह पर लैंड करने की संभावना है। भारत ने चंद्रयान को जीस रॉकेट से भेजा था। उसका नाम एलवीएम थ्री है और ऐसे में इस रॉकेट का रोल महज इतना ही था कि यह चंद्रयान तीन को चाँद की तरफ तेजी से धकेल दें। जिसके बाद इस रॉकेट का रोल खत्म हो जाता है। ऐसे में सवाल है कि चंद्रयान को चाँद की तरफ भेजने के बाद इस रॉकेट का क्या हुआ? दरअसल ये रॉकेट कभी भी लौटकर पृथ्वी की सतह पर नहीं आते हैं और चंद्रयान तीन को चाँद पर पहुंचाने वाला रॉकेट थ्री भी कभी भी लौटकर पृथ्वी पर नहीं आएगा। अंतरिक्ष यान तो वापस धरती पर आ जाते हैं लेकिन रॉकेट कभी भी वापस नहीं आते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर इन रॉकेट का क्या होता है और ये कहाँ जाते है? जब अंतरिक्ष यान या सैटेलाइट रॉकेट से अलग होता है तो उसका एक बहुत छोटा सा हिस्सा ही बच जाता है। इसके बाकी के हिस्से पृथ्वी के मंडल में वापस आते ही जलकर खत्म हो जाते हैं लेकिन एक आखरी हिस्सा स्पेस में ही रह जाता है। यह हिस्सा अंतरिक्ष के कचरे का हिस्सा बन जाता है और वही घूमता रहता है। अंतरिक्ष में बहुत सारा ऐसा कचरा या स्पेस जंक घूम रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि अंतरिक्ष में तैर रहे इतने भारी भरकम रॉकेट के मलबे अगर जमीन पर गिरे तो क्या होगा? ऐसे में वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार अंतरिक्ष में तैर रहे मलबे का अंतरिक्ष से जमीन तक पहुंचने की संभावना ना के बराबर होती है। क्योंकि अगर कोई भी टुकड़ा वापस धरती के वातावरण में घुसता है तो वो बहुत अधिक घर्षण के कारण इसमें आग लग जाती है और वो जमीन से सैकड़ों किलोमीटर ऊपर ही नष्ट हो जाते हैं। धरती की निचली कक्षा में घूम रहे ऐसे टुकड़े अक्सर धरती के वातावरण में घुस जाते हैं, लेकिन तुरंत जलकर नष्ट हो जाते। साल 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 2000 ऐक्टिव सैटेलाइट धरती के चारों ओर घूम रहे हैं। ये वो सैटेलाइट हैं जिनका अब भी धरती से संपर्क है और वह अपना काम कर रहे हैं। इसके अलावा 3000 डेढ़ सैटेलाइट भी मौजूद हैं, जिनका काम पूरा हो चुका है या जिनका संपर्क धरती से टूट चुका है। ऐसे में यह सैटेलाइट अंतरिक्ष के कचरे के रूप में इधर उधर तैर रहे हैं। चंद्रयान तीन को ले जाने वाला एलवीएम थ्री रॉकेट भी अब तक अंतरिक्ष के कचरे में तब्दील हो चुका है और वो ऐसे ही सैकड़ों सालों तक अंतरिक्ष में तैरता रहेगा। के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक आज यानी 18 जुलाई की दोपहर दो से तीन के बीच में चंद्रयान तीन सफलतापूर्वक अपनी तीसरी कक्षा में प्रवेश कर चुका है। चंद्रयान तीन के ऑर्बिट में अगला बदलाव 20 जुलाई को दोपहर इसी समय पर होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रयान तीन अपने तय समय से ही लक्ष्य की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें लगाए गए सभी यंत्र ठीक ढंग से काम कर रहे हैं।

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