पाठशाला में आप योगी के गोरखपुर से पीएम मोदी का सनातन विरोधियो को जवाब दिया गया है उसका चैपटर गीताप्रेस गोरखपुर का अपमान करने वालों को पीएम मोदी ने आज एक झटके में कैसे निपटा दिया? पीएम ने गोरखपुर जाकर विपक्ष के उन नेताओं की क्लास कैसे लगाई, जो सनातन धर्म और हिंदू शास्त्रों की रक्षा करने में वाली गीता प्रेस को अपमानित करने का अजेंडा चलाते हैं? सुनिए।आज पीएम मोदी गीताप्रेस गोरखपुर के शताब्दी समारोह में शामिल होने के लिए गोरखपुर पहुंचे। ये यात्रा इसलिए भी खास है क्योंकि 75 सालों में 75 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई प्रधानमंत्री गीताप्रेस गोरखपुर में पहुंचा हूँ।आज जब पीएम मोदी का काफिला गोरखपुर से निकल रहा था तो भारी बारिश हो रही है और इस भारी बारिश के बीच लोगों की भीड़ सड़कों के दोनों तरफ खड़ी थी। उधर आसमान से बादल बरस रहे थे। इधर लोगों का प्यार बरस रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए हजारों की संख्या में लोग इस बारिश के बीच पीएम मोदी के स्वागत के लिए गोरखपुर, गोरखपुर की सड़कों पर खड़े दिखाई दिए। ये भीड़ इसलिए भी खड़ी थीं क्योंकि पीएम मोदी ने आज गीताप्रेस का अपमान करने वालों को जवाब देकर हिन्दुस्तानी का हर हिंदुस्तानी का मान बढ़ा है।
एक बार सुनिए पीएम जब गुजर रहे हैं तो क्या सेंटिमेंट है लोगों का? फिर आगे की बात बताता हूँ।आप सोचिए जीस संस्था ने देश के घर घर में रामायण और भागवत गीता जैसे ग्रंथ पहुंचायें जिसने करोड़ों लोगों के हाथ में सुंदरकांड और हनुमान चालीसा जैसी धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने का सौभाग्य दिया हो। जिसने संस्था ने करोड़ों हिंदुओं की आस्था को बनाए रखने का।
धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशित करने का काम किया ताकि इस देश में सनातन परंपरा के बारे में लोग जागरूक बने रहे। उस संस्था में आज तक कोई प्रधानमंत्री गया ही नहीं।और ये करोड़ों हिंदुओं का देश। और क्यों नहीं गया भाई? क्योंकि उनको लगता होगा कि उनके वोट बैंक पर कोई बुरा असर न पड़ जाए। लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गीताप्रेस गोरखपुर पहुँचकर ये सारी परंपरा तोड़ दी। पीएम मोदी का गीताप्रेस जाने का दूसरा सबसे बड़ा मकसद गीताप्रेस का अपमान करने वालों को तगड़ा जवाब देनासबसे पहले पीएम मोदी की कुछ बातें सुनाता हूँ फिर आपको बताऊँगा कि इस मामले में आगे क्या हुआ।
गीताप्रेसविश्व का ऐसा इकलौता प्रिंटिंग प्रेस है।जो सिर्फ एक संस्था नहीं है बल्कि एक जीवंत आस्था है।गीताप्रेस का कार्यालय करोड़ों करोड़ों लोगों के लिए।किसी से किसी भी मंदिर से ज़रा भी कम नहीं।इसके नाम में भी गीता है और इसके काम में भी गीता।और जहाँ गीता है, वहाँ साक्षात कृष्ण है।और जहाँ कृष्ण हैं, वहाँ करुणा भी है, कर्म भी है, वहाँ ज्ञान का बोध भी है और विज्ञान का शोध भी है।क्योंकि गीता का वाक्य है।वासुदेव सर्वं।गुड, वासुदेव शर्मा।सब कुछ वासुदेव मैं है।सब कुछ वासुदेव से ही है, सब कुछ वासुदेव में ही है।गीताप्रेस पिछले 100 साल से हिंदू धार्मिक पुस्तकों को प्रकाशित करने का काम कर रही है।यही वजह है कि आज घर घर में रामचरित मानस की चौपाइयां सुनाई जाए। इसी गीताप्रेस की वजह से लोग सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ कर पाते।घर में कोई मांगलिक कार्य हो तो इसी गीताप्रेस में छपी किताबों के मंत्रों से पूजा पाठ हो पाता है।अरे भाई गीताप्रेस तो वो संस्था है जो आज के दौर में बिना किसी लाभ की उम्मीद में ये किताबें छाप रही ताकि हर हिंदू का आस्था और अध्यात्म से जुड़ाव बना रहे।इस महान योगदान को देखते हुए पिछले महीने मोदी सरकार ने गीताप्रेस को गाँधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया।तो कांग्रेस को बहुत दिक्कत।अच्छा गीताप्रेस को आप देखिये।सम्मान उन्होंने रख लिया। लेकिन 1,00,00,000 की जो राशि मिली थी सम्मान में वो वापस कर दें। जबकि इतनी आर्थिक तंगी है इसको गीताप्रेस।लेकिन पैसे वापस कर दिए, लेकिन फिर भी कांग्रेस को दिक्कत है। उनके सीनियर नेता जयराम रमेश ने गीताप्रेस का अपमान कर दिया और ट्वीट करके कह दिया कि गीताप्रेस को पुरस्कार देने का फैसला वास्तव में एक मजाक ये सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है। जयराम रमेश शायद यह भूल गए की यही वो गीताप्रेस है जिसकी एक मैगज़ीन के लिए महात्मा गाँधी लेख लिखा करते थे। आज यही बात जो हमने आपको पाठशाला में पहले बताई थी, जब मैं अमेरिका में था और उस दिन ये विवाद हुआ था, मैंने वहाँ से आपको दिखाया था कि अमेरिका में भी लोगगीताप्रेस की छपी हुई किताबें पढ़ रहे हैं, आज ये बात की गांधीजी गीताप्रेस की एक मैगज़ीन के लिए लेख लिखते थे। पीएम मोदी ने भी कांग्रेस को याद दिलाई।1923 में गीताप्रेस के रूप में यहाँ जो आध्यात्मिक ज्योति प्रज्वलित हुई, आज उसका प्रकाश पूरी मानवता का मार्गदर्शन कर रहा है।हमारा सौभाग्य है।कि हम सभी।इस मानवीय मिशन की।शताब्दी के साक्षी बन रहे हैं।इस ऐतिहासिक अवसर पर ही हमारी सरकार ने।गीताप्रेस को गाँधी शांति पुरस्कार भी दिया है।गाँधी जी का।
गीताप्रेस से भावनात्मक जुड़ाव था।एक समय में गाँधी जी कल्याण पत्रिका के माध्यम से गीताप्रेस के लिए लिखा करते थे। और मुझे बताया गया।कि गाँधी जी ने इस सुझाव दिया था।कि कल्याण पत्रिका में विज्ञापन न छापे जाएं।कल्याण पत्रिका आज भी।